Tuesday, November 4, 2014

लकीरों में लिखी कहानी


उम्र एक हकीकत है जो नजर आती है;
जबान कहां ईतना सब बताती है॥

ये झुर्रियां पूरे उम्र की दास्तां सुनाती हैं;
अब सच किसी से नही छुपाती हैं॥

सीने में अब रातें कपकपाती हैं;
चांदनी सी जुलफें इस चेहरे पर कितना सुहाती हैं॥

उम्र की जुलफें कितनी घनेरी हैं;
आंच पर पक कर हो गई सुनहरी हैं॥
आज ये मेरी तो कल तेरी हैं;
ये उम्र ना तेरी ना मेरी चचेरी है॥

जरद सा शाल ओढे:
आज जिन्दगी मौत की दहलीज पर है;
ए नासमझ तुझे जो इतना नाज है;
वो किस चीज पर है॥

आया ही नही हमको घीरे से गुजर जाना;
वक्त से टकराना और फिर बिखर जाना॥

हर मोड पर ये आंखें' बच्चों से ये कहती हैं;
कितना भी तुम उड़ लो;
पर रात को लौट के घर आना॥

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