Sunday, November 2, 2014

चिराग़


ये चिराग नही दिल जल रहे हैं:
चले आओ जहाँ तक रोशनी दिखाई देती है॥

कोशिश करो ये चिराग जलते रहे;
इसमें हमारी रुहें रहती हैं॥

शमा जलती है पूरी रात:
पर जिन्दगी का हर रंग सहती है॥

तू चाह कर भी अब हमें रोक नही सकता;
हम खुशबू की तरह हवा में चलते हैं;

कोशिश भी मत करना इन्हें बुझाने की;
ये चिराग अब तेल से नही ' हवा से जलते हैं॥

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